5 TIPS ABOUT BAGLAMUKHI SADHNA YOU CAN USE TODAY

5 Tips about baglamukhi sadhna You Can Use Today

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बाल-भानु-प्रतीकाशां, नील-कोमल-कुन्तलाम् ।

दुष्ट-स्तम्भनमुग्र-विध्न-शमनं दारिद्रय-विद्रावणम्१ । भू-भृत्-स्तम्भन-कारणं२ मृग-दृशां चेत:- समाकर्षणाम् ३।।सौभाग्यैक-निकेतनं मम दृशोः कारूण्य-पूर्णेक्षणम् । विघ्नौघं बगले! हर प्रति-दिनं कल्याणि! तुध्यं नमः ।।सायं-कालीन बगला- गायत्री का ध्यान-मातर्भञ्जय मद्-विपक्ष-वदनं जिह्वाञ्चलं कीलय । ब्राह्मीं मुद्रय मुद्रयाशु धिषणामंध्रयो-गतिं स्तम्भय ।।शत्रूंश्चूर्णय चूर्णयाशु गदया गौराङ्गि पीताम्बरे! । विघ्नौघं बगले ! हर प्रति-दिनं कल्याणि! तुभ्यं नमः ।।मानस-पूजन – ॐ लं पृथ्वी- तत्त्वात्मकंगन्धं श्रीब्रह्मास्त्र बगला-देवता-प्रीतये समर्पयामिनमः। ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीब्रह्मास्त्र बगला-देवता-प्रीतये समर्पयामि नमः । ॐ यं वायु-तत्वात्मकं धूपं श्रीब्रह्मास्त्र बगला-देवता-प्रीतये घ्रापयामि नमः । ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकंदीपं श्रीब्रह्मास्त्र बगला-देवता-प्रीतये दर्शयामि नमः । ॐ वं जल तत्त्वात्मकं नैवेद्यं श्रीब्रह्मास्त्र- बगला-देवता-प्रीतये निवेदयामि नमः । ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीब्रह्मास्त्र बगला-देवता-प्रीतये समर्पयामि नमः ।मन्त्र -ॐ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विह्महे स्तम्भन-बाणाय धीमहि तन्नः बगला प्रचदियात् ।

“यजुर्वेद’के प्रसिद्ध ‘आभिचारिक प्रकरण’ में अभिचार-स्वरूप की निवृत्ति में इसी शक्ति का विनियोग किया गया है। इस प्रकरण का ‘यजुर्वेद’ की सभी संहिताओं (तैत्तरीय, मेत्रायणी, काक, काठक, माध्यन्दिनि, काण्व) में समान-रूप से पाठ आया है। ‘माध्यन्दिनि संहिता’ के भाष्य-कर्त्ता उव्वट, महीधर भाष्यकारों ने जैसा अर्थ इसका लिया है, उसका सार यहाँ देते हैं। पं० ज्वालाप्रसाद कृत मिश्र भाष्य में इसका हिन्दी अनुवाद भी दिया गया है।

अर्थात् ‘शत्रु के विनाश के लिए कृत्या-विशेष भूमि में जो गाड़ देते हैं, उन्हें नाश करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति को वलगहा कहते हैं।’ यही अर्थ वगला-मुखी का भी है। ‘खनु अवदारणे ‘ इम धातु से मुख’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ मुख में पदार्थ का चर्वण या विनाश ही अभिप्रेत होता है। इस प्रकार शत्रुओं द्वारा किए हुए अभिचार को नष्ट करनेवानी महा-शक्ति का नाम ‘बगला-मुखी’ चरितार्थ होता है। श्रीमहीधर ने इसका स्पष्ट अर्थ ऐसा किया है-

स्तम्भन-बाणाय धीमहि नेत्र-त्रयाय वौषट्



।। फल-श्रुति ॥इत्येवं वज्र-कवचं, महा-ब्रह्मास्त्र -संज्ञकम् । त्रि-सन्ध्यं यः पठेद् धीमान्, सर्वैश्वर्यमवाण्नुयात् ।।१न तस्य शत्रव: केऽपि, सखायः सर्व एव च। बलेनाकृष्य शत्रुं स्यात् सोऽपि मित्रत्वमाप्नुयात् ।।३शत्रुत्वे मरुता तुल्यो, धनेन धनदोपमः । रूपेण काम-तुल्यः स्याद्, आयुषा शूल-धृक् -समः१२॥४सनकादि-समो धैर्ये, श्रिया विष्णु-समो भवेत् । सः विद्यया ब्रह्म-तुल्यो, यो जपेत् कवचं नरः । ।५.

प्रभावशाली मंत्र मां बगलामुखी विनियोग – अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि। त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये। ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:। ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

१२. श्रीभग-वाहायै नमः ऐश्वर्य-प्रदात्री-शक्ति को नमस्कार।

विनियोग- ॐ अस्य श्रीबगला-गायत्री-मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः , गायत्री छन्दः, श्रीचिन्मयी शक्ति-रूपिणी-ब्रह्मास्त्र-बगला देवता, ॐ बीजं, ह्लीं शक्ति:, विद्महे कीलकं, श्रीब्रह्मास्त्र- बगलाम्बा-प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

ॐ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विह्महे कवचाय हुम्

५. श्रीअचलायै नमः ‘पृथ्वी’ , ‘ब्रह्म-शक्ति’ को नमस्कार ।

Goddess Baglamukhi would be the eighth mahavidya from the number of ten mahavidyas. She's determined While using the braveness and toughness. Goddess Baglamukhi has the strength of turning matters into its reverse. She will be able to transform silence into speech, ignorance into knowledge, defeat right into a victory, ugliness into natural beauty, poverty into prosperity, Selfishness to friendliness. She also unfolds the fact guiding the looks and preserve us from currently being deceived by anything and by a person. From each of the 10 Mahavidyas, Ma Bagalamukhi mahavidya sadhana is associated with a more info big degree of occult powers. She is usually from time to time known as the Brahmaastra (This is actually the weapon of Brahmaa that he utilizes throughout warfare).

विष्टम्भो दिवो धरुणः पृथिव्या अस्येशाना सहसो विष्णु-पत्नी।

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